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10 सितंबर 2011
पत्थरों का शहर
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यह पत्थरों का शहर है
बेजान बुत सा खड़ा इसके सीने में
भरा गुबारों का ज़हर है।
यह पत्थरों का शहर है।।
यहाँ पलती है ज़िन्दगी नासूर सी।
यहाँ जलती है ज़िन्दगी काफ़ूर सी।
यहाँ बहकती है ज़िन्दगी सुरूर सी।
यहाँ तपती है ज़िन्दगी तंदूर सी।
अहसान फ़रामोश इस शहर का अजीबो ग़रीब जुनून है।
पत्थरों के सीने में यहाँ हरदम उबलता ख़ून है।
सूरज के ख़ौफ़ से झुलसता, तपता
यह अंगारों का शहर है।
यह पत्थरों का शहर है।।
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