10 फ़रवरी 2024

प्रकृति पर दोहे

 1
करें प्रकृति से मित्रता, ध्‍येय बनाएँ एक। 
बन जायेंगे वन सघन, पेड़ लगाएँ एक।

2
करें सूर्य से दोस्‍ती, लें प्रकाश कुछ देर।
छत या बाहर घूमिए, चाहे देर सवेर।

3
हो तनाव यदि मानसिक, रहें प्रकृति के संग।
करे प्रभावित मन प्रकृति, दे खुशियों के रंग ।

4
चढ़ें नित्य ही सीढ़ि‍याँ, मंदिर की अविराम।
प्रभु समक्ष नित कीजिए, इक साष्‍टांग प्रणाम।

5
नित्‍य नियम से लीजिए, लंबी लंबी श्‍वास।
होगा यदि अवरोध तो, देगी कुछ आभास।

6.
मिले प्राकृतिक रोशनी, सहज सहन हो दर्द।
घूमें नित उद्यान में, ले कर सँग हमदर्द।

7.
बस इतना ही कीजिए, ‘आकुल’ नित व्‍यायाम।
बहे पसीना तनिक तब,  करें सहज विश्राम।

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