25 नवंबर 2016

अंत हो

छंद- आनंदवर्धक छंद
मापनी
2122 2122 212
पदांत- हो, समांत-अंत

भ्रष्टता के आचरण का, अंत हो.
अभ्युदय की वांछना, अत्यंत हो.

सत्यमेव जयते, जय जयकार हो,
अतिथि देवोभव, प्रथा विजयंत हो.

धर्म की भी हो अब, पुनर्स्‍थापना,
न्याय सर्वोपरि, मरण पर्यन्त हो.


आज पीढ़ी हो रही है, मार्ग-च्युत‍,
सन्मति हवन करें, पीढ़ी पंत हो


लेंं फिर इस धरा पर, जनम युगंधर,
आकुल अब सदैव, यहाँ बसंत हो.

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