छंद – सिंह विलोकित
चार चरण सम मात्रिक छंद चरणांत लघु गुरु
पदांत- रहीं
समांत- इला
कंधे से कंधा मिला रहीं।
आसमान पे झिलमिला रहीं।
जग रही बेटियाँ, याद सब,
वीर नारियों की दिला रहीं।
दोयम समझ आँका जिन्हें अब,
दुश्मनों के किले हिला रहीं।
अति उत्साह जिम्मेदारियाँ,
निभाती सभी खिलखिला रहीं।
इतिहास साक्षी है देश में,
राष्ट्र प्रमुख शीर्ष महिला रहीं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें