Friends18.com Republic Day Scraps
सुधाकर अमृतवर्षा दिवाकर रश्मि मणि बिखेरे इस बार।
स्वाति गिरे धरा कुमकुम का शृंगार करे इस बार।
क्षितिज पर फहराये विजयी विश्व तिरंगा इस बार।
कुछ इस तरह मनायें छब्बीस जनवरी इस बार।
दो देश करते हैं जैसे विकास के लिए कोई करार।।
ग़रीबों के हक़ की बातें करें।
इन्सानियत के दुश्मनों का करें बहिष्कार।
बच्चों की सेहत पर दें ध्यान नारी न हो कहीं शर्मसार।
बुजुर्गों का आदर हो और घर घर में पनपें संस्कार।
कुछ इस तरह सुधरे नेताओं की छवि इस बार।
दो देश करते हों जैसे प्रत्यर्प्रण करार।।
राम और कृष्ण की भूमि महाशक्ति बने
देश का नाम हो जगत् में सिरमौर।
दूध की नदियाँ बहें फिर धन सम्पदा वैभव बिखरा हो हर ओर।
गाँधी के रामराज्य की साँझ हो,नेहरू के पंचशील का हो भोर।
कुछ इस तरह बनायें सरकार इस बार।
दो देश करते हों जैसे निरस्त्रीकरण करार।।
न बनें सरहदें,न टूटें कोई राज्य न बँटें ज़मीनें।
न दिलों में नफरत पले न आँखें हों ग़मग़ीनें।
इंसाफ़ का परचम फहरे न रिश्तों पे उठें संगीनें।
कुछ इस तरह अमन चैन का हो राज हो इस बार।
दो देश करते हों जैसे आव्रजन करार।।
कुछ इस तरह मानायें छब्बीर जनवरी इस बार।
दो देश करते हैं जेसे विकास के लिए कोई करार।।
(जीवन की गूँज से)
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