15 अगस्त 2012 पर सभी को नमन शुभकमानायें
वंदे मातरम्
इस पर्व पर हुतात्माओं को श्रद्धांजलि
जिनके अथक परिश्रम से मिली इस सौगात को मैं और मेरे देशवासी सहेज के रखेंगे।
उनके आत्मबलिदान को हम कभी विस्मृत नहीं कर पायेंगे।- आकुल
-0-
आज जो भी है वतन आज़ादी की सौग़ात है।
कितने शहीदों की शहादत बोलता इतिहास है।
कितने वीरों की विरासत तौलता इतिहास है।
देश की ख़ातिर किये हैं ज़ाँबाज़ों ने फैसले,
सुनके दिल दहलता है वह खौलता इतिहास है।
देश है सर्वोपरि
न कोई जात
पाँत है।
आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौग़ात है।
आज़ादी से पाई है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
सर उठा के जीने की, कुछ करने की प्रतिबद्धता।
सामर्थ्य कर गुज़रने का, हौसला मर मिटने का,
काम आएँ देश के कुछ करने की कटिबद्धता।
सर झुके न देश का बस एक ही ज़ज़्बात है।
आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौग़ात है।
सोएँगे बेफ़िक्र हो लुटेंगे यह सच्चाई है।
एक जुट होना ही होगा देश पे बन आई है।
आतंक भ्रष्टाचार ने अम्नो वफ़ा पे घात कर,
दी चुनौती है हमें फ़ज़ा भी अब शरमाई है।
पत्थर जवाब ईंट का, घात का प्रतिघात है।
आज जो भी है वतन आज़ादी की सौग़ात है।
महँगाई, घूस, वोट की राजनीति अत्यचार है।
क़ानून का मखौल भी अब होता बार बार है।
जनतंत्र में जनता ही त्रस्त ख़ौफ़ में जीती रहे,
रक्षक बने भक्षक तो कैसा कौनसा उपचार है।
ख़ुशहाल हो हर हाल में वतन तो कोई बात है।
आज जो भी है वतन आज़ादी की सौग़ात है।
करें नमन शहीदों, हुतात्माओं और वीरों को।
बापू, जवाहर, लोहपुरुष और सैंकड़ों वज़ीरों को।
बनाना है सिरमौर फहराना है परचम विश्व में,
अक्षुण्ण अपनी सभ्यता संस्कृति की नज़ीरों को ,
गिद्धदृष्टि डाले ना किसी की भी औक़ात है।
आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौग़ात है।
आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौग़ात है।
कोटा 15-08-2012
आज जो भी है वतन इस पर्व की सौग़ात है।
जवाब देंहटाएंक्या दिया हमने इसे ये सोचने की बात है।
Nice.
See
http://pyarimaan.blogspot.in/2012/08/wife.html