7 जून 2019

पत्‍थरों सा हर शहर क्‍यों हो गया जाने (गीतिका)


55. गीतिका
छंद- रजनी
मापनी- 2122 2122 2122 2
पदांत- क्‍यों हो गया जाने.
समांत- अर
पत्‍थरों सा हर शहर क्‍यों हो गया जाने.
खत्‍म अब ईश्‍वर काडर क्‍यों हो गया जाने.

लुट रहीं हैं बच्चियाँ हद हो गयी अब तो,
आदमी अब जानवर क्‍यों हो गया जाने.

कम हुआ मिलना मिलाना ईद दीवाली,
यारबाजी में बसर क्‍यों हो गया जाने.

है छिपा मन में सभी के चोर है बैठा,
संसकारों से इतर क्‍यों हो गया जाने.

दो तरह की जिंदगी को जी रहा आकुल’,
बात में इतना मुखर क्‍यों हो गया जाने.

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