हिन्दी पूरब की थाती है।
चहूँ दिशा जानी जाती है।।
इसका विस्तृत है शब्दकोष
स्वर व्यंजन से है ज्ञानकोष
लिखते वैसा जैसा बोलें,
जिससे मिटते हैं वाक्दोष।
है वैज्ञानिक आधारित यह।
संस्कृति इसके गुण गाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
सरल सुपाठ्य इसकी अभिव्यक्ति
है अदम्य साहस और शक्ति
इसका चुम्बकीय आकर्षण,
भावविभोर हो जाता व्यक्ति।
प्रादुर्भाव देव भाषा से,
देवनागरी कहलाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
कर्ता, कर्म, विशेषण, कारक,
संज्ञा, सर्वनाम संवाहक
क्रिया, वचन, स्वर, व्यंजन सारे,
सरल व्याकरण है परिचायक
वर्णमाल इसकी सुनियोजित,
लिखते पढ़ते आ जाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
आज चुनौती बनी हुई है
अंग्रेजी से ठनी हुई है
जालघरों से जुड़ी हई यह,
विश्वजनों संग खड़ी हुई है।
यह कवि मनीषियों की भाषा,
अतुलित ऊर्जा भर जाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
थाती- धरोहर
चहूँ दिशा जानी जाती है।।
इसका विस्तृत है शब्दकोष
स्वर व्यंजन से है ज्ञानकोष
लिखते वैसा जैसा बोलें,
जिससे मिटते हैं वाक्दोष।
है वैज्ञानिक आधारित यह।
संस्कृति इसके गुण गाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
सरल सुपाठ्य इसकी अभिव्यक्ति
है अदम्य साहस और शक्ति
इसका चुम्बकीय आकर्षण,
भावविभोर हो जाता व्यक्ति।
प्रादुर्भाव देव भाषा से,
देवनागरी कहलाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
कर्ता, कर्म, विशेषण, कारक,
संज्ञा, सर्वनाम संवाहक
क्रिया, वचन, स्वर, व्यंजन सारे,
सरल व्याकरण है परिचायक
वर्णमाल इसकी सुनियोजित,
लिखते पढ़ते आ जाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
आज चुनौती बनी हुई है
अंग्रेजी से ठनी हुई है
जालघरों से जुड़ी हई यह,
विश्वजनों संग खड़ी हुई है।
यह कवि मनीषियों की भाषा,
अतुलित ऊर्जा भर जाती है।
हिन्दी पूरब की थाती है।।
थाती- धरोहर
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