14 मई 2019

हवा संग उड़ जाऊँ मैं (गीतिका)

छंद- कुंडल
विधान- 22 मात्रा, 12, 10 पर यति अंत 22.
पदांत- चाहे क्‍यों
समांत- अन

हवा संग उड़ जाऊँ मैं, मन चाहे क्‍यों.
बन जाये पंछी अब, यह तन चाहे क्‍यों.

जाने कौन बसा है, मेरे  भीतर जो,
इधर उधर मैं भागूँ, अब अन-चाहे क्‍यों. 

स्‍वप्‍न दिखाये रातों, नींद न क्‍यों आये,
ऐसा कुछ मन, मेरा, मधुबन चाहे क्‍यों.

दीवानापन छाया, है क्‍यों अब मुझको.
जाने को अब, मन वृंदा-वन चाहे क्‍यों.

सब हँसते हैं मेरी, देखें व्‍याकुलता,
तब समझी मैं, पी को, यौवन चाहे क्‍यों .

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