कोकिल कंठी स्वर साम्राज्ञी लता जी नहीं रहीं।
रोम-रोम खड़े हो गए। सुन कर एकाएक विश्वास नहीं हुआ। आखिर कोरोना ने उन्हें भी नहीं बख्शा। भले ही वे कोरोना से उबर गईं थी, किंतु पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाईं और हर शारीरिक कमज़ाेरी उन पर हावी होती चली गई और यह निष्ठुर काल उन्हें ले चला। 28 सितम्बर 1929 को इंदौर से शुरु हुआ उनका जीवन संगीत सफर 6 फरवरी, 2022 को उनके स्थाई निवास मुंबई में थम गया। उनके संदर्भ में जितना कहा जाए, लिखा जाए
एक स्वप्न की तरह लगेगा। रोम-रोम में बसे हैं उनके स्वर, जहाँ भी सुनाई देते
हैं, बरबस आकर्षिक कर लेते हैं। सैंकड़ों गीत हैं, उनको वे लोग भी चलते-फिरते
गुनगुना लेते हैं जिन्हें न गाने का शौक है और न संगीत में रुचि है। उनका
स्वर प्रकृति के कण-कण में रचा-बसा है। माधुर्य की तो मिसाल ही नहीं। उनके गाये
मधुर गीतों की शृंखला खत्म ही नहीं होती। गीत, चित्रण, कथ्य शिल्प को जीवंत कर
देने वाली आवाज़ अब शांत हो गई। उनको श्रद्धांजलि के लिए भी सैंकड़ों गीतों का
दृष्टांत दे सकते हैं जैसे-
तुम्हें याद करते करते जाएगी उम्र सारी (आम्रपाली)...,जातेहुए ये पल छिन क्यूँ जीवन लिए जाते हैं (अँखियों के झरोखे से)...,जिंदगीकैसी है पहेली(आनंद)..., जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर (सफर)...लता
जी के अमर गीतों की शृंखला भी छोटी नहीं है। आइये, उनके अविस्मरणीय कुछ एकल व युगल
गीतों से भी उन्हें श्रद्धांजलि दें-
28 सितम्बर 1929 से 6 फरवरी, 2022 |
1. तड़प ये दिन रात की...(आम्रपाली) 2. नैनों मं बदरा छाए (मेरा साया) 3. तू चंदा मैंचाँदनी.....(रेशमा और शेरा) 4. टूट के दिल के टुकड़े टुकड़े....(बॉबी) 5. मेघा छाएआधी रात ...(शर्मीली) 6. रुक जा रात ठहर जा रे चंदा.... (दिल एक मंदिर) 7. दिल कीगिरह खोल दो चुप न बैठो.....(रात और दिन) 8. ये समाँ समाँ ये प्यार का किसी केइंतज़ार का... (जब जब फूल खिले) 9. सत्यं शिवं सुंदरम..... 10. ये जिंदगी उसी केजो किसी का हो गया... (अनारकली) ।
अलविदा लता जी..... तुम बहुत याद आओगी...
-आकुल
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