शिव ही है कल्याण अनवरत उसे भजिए
सदा
शिव ही है विश्वास हृदयस्थ उसे रखिए सदा
सुन्दरम्, सत्यम्-शिवम् का रूप है यह महादेव
सिद्ध मंत्र ‘ओम् नम: शिवाय’ जपते रहिए सदा
गौरी-गणेश-कार्तिकेय’ के हैं शिव आराध्य देव,
त्रिदेवों में इक देव हैं उपासना
करिए सदा
कालकूट विष पी कर कहलाये महा नीलकंठ,
विश्वात्मा त्रिनेत्रधारी के अनुचर
बनिए सदा.
होते प्रसन्न शीघ्र ये दयालु हैं ऐसे ‘आकुल’
अघोरी साधु-संत समागम से बस बचिए सदा.
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