9 अप्रैल 2019

देना वोट किसी को चाहे (गीतिका)


छंद- मरहट्ठा माधवी
विधान- 26. 16 यति 13 (दोहे का विषम चरण), अंत 212
पदांत- है, समांत- आर

देना वोट किसी को चाहे, कोई ना हकदार है.
होती आई सदा घिनौनी, राजनीति हर बार है.

कोशिश गठबंधन की होगी, मिले न बहुमत पूर्ण जो,
येन केन कैसे भी बनती, आई हर सरकार है.

जोड़-तोड़ की समीकरण का, खेल नया है देखना,  
ना देने से जाता अपना, वोट सदा बेकार है.

वोट किसी के भी हक जाये, नोटा को मत दीजिए,
नहीं करेगा अभी प्रभावित, दिया नहीं अधिकार है.

भूख राज सत्ता की मिटती, लोकतंत्र में नहीं कभी,
होंगे शकुनि न कभी खत्‍म  हर, भीष्म यहाँ लाचार है

नहीं कभी भी रक्‍त क्रांति का, अपना इक इतिहास हो,  
जन-निनाद भी पास हमारे ,बचा एक हथियार है.

उँगली से हक़ जता दिया पर, मुट्ठी में सरकार हो,
रहें एक जुट वार समय पर, करें यही उपचार है.

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