छंद - तमाल (सम मात्रिक )
शिल्प विधान -- चौपाई +गुरु लघु 16+3=19 अंत में यति ।
समांत- आर
शिल्प विधान -- चौपाई +गुरु लघु 16+3=19 अंत में यति ।
समांत- आर
पदांत- 0
जीवन में सुख का आधार है’ प्यार.
सुख-दुख, धर्म-कर्म का ही है
सार.
धर्म, अर्थ अरु काम, मोक्ष
ही श्रेष्ठ,
पुरुषोत्तम वे जिनसे निभते
चार.
इंद्रियनिष्ठ ही’ बनते जग
में इंद्र,
वह ही पीतें हैं जग का विष,
क्षार.
जो करते साष्टांग वंदना
नित्य,
धरती पर वे बनें कभी ना भार.
जीवन को निश्छल जीकर तो
देख,
‘आकुल’ पग-पग मिलता सुख हर
बार.
-आकुल
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