छंद- विष्णु पद (सम मात्रिक)
हम ही ग्रंथों को कुछ पढ़ कर,
दूर विषाद करें.
विधान- 16 यति 10, अंत गुरु
से.
पदांत- करें
समांत- आद
विद्वानों को छोड़ो उनसे क्या
परिवाद करें.
पूर्वाग्रह से ग्रसित पंथ
सब, चिंता किसे पड़ी,
अपनी अपनी राह दिखाते,
वाद-विवाद करें.
नेता सभी दुराग्रह पालें,
लोगों को भड़का,
करते उल्लू सीधा अपना, खुद
आह्लाद करें.
सोचो धूल खा रहे सारे, ग्रंथ
अमूल्य धरे,
आज नहीं क्या सार्थक ये सब,
कुछ संवाद करें.
ढूँढ़े फिर शुकदेव बतायें,
उन्हें वास्तविकता,
कहें आज के ही परिप्रेक्ष्य,
कुछ अनुवाद करें.
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