सृजन करो फिर हरित क्रांति का बिगुल बजाना है।
धरती सोना उगले ऐसी अलख जगाना है।
सृजन करो--
पवन बहेगी सुरभित हर द्रुमदल लहरायेंगे।
सरिता कल कल नाद करेगी जलधर भी आयेंगे।
कानन उपवन फूल खिलेंगे भँवरे भी गायेंगे।
बंजर भूमि हर्षेगी दुर्भाग्य सभी जायेंगे।
धानी चूनर से वसुधा का भाल सजायेंगे।
लोक गीत गूँजेंगे घर-घर प्रीत बढ़ायेंगे।
ग्राम्य चेतना की शिक्षा का पाठ पढ़ाना है।
सृजन करो--
गोधन संवर्धन अपना प्रथम मनोरथ होगा।
कंटकीर्ण है मार्ग अग्निपथ सा जीवनपथ होगा।
सुलभ करेंगे हर साधन घर-घर में लाना होगा।
उन्नत कृषि का हर संसाधन यहीं बसाना होगा।
गोबर गैस, सौर ऊर्जा को भी अपनाना होगा।
उत्तम खाद नई-नई तकनीक जुटाना होगा।
सघन वन, पर्यावरण समृद्धि की हवा बहाना है।
सृजन करो--
शहरों में महँगाई, भष्टाचार, प्रदूषण भारी।
जनता में आक्रोश भरा है निर्धन में लाचारी।
युवा वर्ग में प्रतिस्पर्द्धा है बढ़ी हुई बेकारी।
जिसकी लाठी भैंस उसी की धन की दुनियादारी।
राम राज्य की बात करें क्या ‘बापू’ है लाचारी।
अब तो हैं हालात यहाँ डर लगता करते यारी।
बचे हुए हैं गाँव अभी यह शर्त लगाना है।
सृजन करो--
पंचायत में ही हों निर्णय और पंच बनें परमेश्वर।
कोर्टों के क्यों चक्कर काटें क्यों घर से हों बेघर।
फसलों का मूल्य मिले घर पर ही शहर जायें क्यूँ लेकर।
मेले, हाट त्योहार मनायें गाँवों में ही रह कर।
शिक्षा संकुल और व्यापारिक केंद्र खुलें बढ़-चढ़ कर।
पर मुख्यतया खेती विकास का ध्यान रहे सर्वोपर।
ग्रामोत्थान संस्कृति का अब यज्ञ कराना है।
सृजन करो--
कृषि प्रधान है देश सजग हो ग्राम समग्र हमारा।
ना बदलेंगे संस्कार और ना परिवेश हमारा।
अपनी है पहचान धरा से इससे नाता प्यारा।
इसके लिए कटें सर चाहे बहे रक्त की धारा।
चले हवा संदेश शहर में पहुँचाये हरकारा।
रामराज्य आ रहा बहेगी पंचशील की धारा।
हर मौसम में रंग बसंत का पर्व मनाना है।
सृजन करो--
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25 नवंबर 2010
24 नवंबर 2010
कोटा के जनवादी कवि रघुनाथ मिश्र को मिथलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान
कोटा 22 नवम्बर। अखिल भारतीय कायस्थ समाज की पत्रिका चित्रांश ज्योति द्वारा स्व0 मिथलेश श्रीवास्तव की स्मृति में दिया जाने वाला मिथलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान वर्ष 2010 के लिए कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी और जनवाद के पुरोधा जनकवि श्री रघुनाथ मिश्र का चयन किया गया है।
श्री मिश्र को दिल्ली की साहित्यिक पत्रिका ‘हम सब साथ साथ’ प्रायोजित चित्रांश ज्योति के तत्वावधान में एक भव्य समारोह में 28 नवम्बर, रविवार को झाँसी (उ0प्र0) में सम्मानित किया जायेगा। यह सम्मान केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’
द्वारा प्रदान किया जायेगा। समारोह में अखिल भारतीय कायस्थ समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं का भी अभिनंदन किया जायेगा।
श्री रघुनाथ मिश्र की 1967 से अब तक सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक क्षेत्र में की गयी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए ये सम्मान दिया जा रहा है। ऊनकी 2008 में प्रकाशित पुस्तक ‘सोच ले तू किधर जा रहा है’ को भी चयन समिति द्वारा विशेष रूप से सराहा गया। उनकी रंगकर्म की अथक सांस्कृतिक यात्रा और जन-जन के किये जाने वाले संघर्ष में योगदान को भी ध्यान में रखा गया।
जलेस के पदाधिकारी जनकवि श्री गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ ने बताया कि श्री मिश्र प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) से बने जनवादी लेखक संघ (जलेस) के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वर्तमान में जलेस की केंद्रीय परिषद् के सदस्य हैं। राजस्थान की जलेस राज्य इकाई में पदाधिकारी और कोटा जिला के जलेस जिलाध्य्क्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कोटा जन नाट्य मंच के तत्वावधान में श्री मिश्र ने आरंभ से ही अनेकों नाटकों जैसे रूसी लेखक जेखोब के हिंदी रूपांतरित नाटक ‘गिरगिट’, कोटा के स्व0 शिवराम के नाटक ‘जनता पागल हो गयी’ एवं अन्य कई नाटकों ‘हल्लाबोल’, ‘हवलदार लोहासिंह’, ‘औरत’, ‘हिंसा परमोधर्म’ आदि में सैंकड़ोंबार अभिनय किया है और आज भी जनवाद की अथक यात्रा में वे सक्रिय हैं। वे साहित्यकार के साथ साथ कोटा में कर्मठ अधिवक्ता के रूप में भी जाने जाते हैं।
श्री मिश्र हाल ही में अपनी 10 दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक यात्रा से मेरठ और दिल्ली हो कर लौटे हैं। सम्मान के लिए ‘हम सब साथ साथ’ द्वारा दूरभाष से जानकारी प्राप्त होते ही कोटा के जलेस सदस्यों में हर्ष की लहर दौड़ गयी। उन्होंने दूरभाष पर ही श्री मिश्र को बधाइयाँ दीं।
सम्मान प्राप्त कर लौटने पर श्री मिश्र को जलेस की बैठक में उनकी साहित्यिक यात्रा और सम्मान पर चर्चा की जायेगी। उनकी साहित्यिक यात्रा और सम्मान पर एक विशेष रिपोर्ट भी प्रकाशित की जायेगी।
श्री मिश्र को दिल्ली की साहित्यिक पत्रिका ‘हम सब साथ साथ’ प्रायोजित चित्रांश ज्योति के तत्वावधान में एक भव्य समारोह में 28 नवम्बर, रविवार को झाँसी (उ0प्र0) में सम्मानित किया जायेगा। यह सम्मान केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’

श्री रघुनाथ मिश्र की 1967 से अब तक सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक क्षेत्र में की गयी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए ये सम्मान दिया जा रहा है। ऊनकी 2008 में प्रकाशित पुस्तक ‘सोच ले तू किधर जा रहा है’ को भी चयन समिति द्वारा विशेष रूप से सराहा गया। उनकी रंगकर्म की अथक सांस्कृतिक यात्रा और जन-जन के किये जाने वाले संघर्ष में योगदान को भी ध्यान में रखा गया।
जलेस के पदाधिकारी जनकवि श्री गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ ने बताया कि श्री मिश्र प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) से बने जनवादी लेखक संघ (जलेस) के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वर्तमान में जलेस की केंद्रीय परिषद् के सदस्य हैं। राजस्थान की जलेस राज्य इकाई में पदाधिकारी और कोटा जिला के जलेस जिलाध्य्क्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कोटा जन नाट्य मंच के तत्वावधान में श्री मिश्र ने आरंभ से ही अनेकों नाटकों जैसे रूसी लेखक जेखोब के हिंदी रूपांतरित नाटक ‘गिरगिट’, कोटा के स्व0 शिवराम के नाटक ‘जनता पागल हो गयी’ एवं अन्य कई नाटकों ‘हल्लाबोल’, ‘हवलदार लोहासिंह’, ‘औरत’, ‘हिंसा परमोधर्म’ आदि में सैंकड़ोंबार अभिनय किया है और आज भी जनवाद की अथक यात्रा में वे सक्रिय हैं। वे साहित्यकार के साथ साथ कोटा में कर्मठ अधिवक्ता के रूप में भी जाने जाते हैं।
श्री मिश्र हाल ही में अपनी 10 दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक यात्रा से मेरठ और दिल्ली हो कर लौटे हैं। सम्मान के लिए ‘हम सब साथ साथ’ द्वारा दूरभाष से जानकारी प्राप्त होते ही कोटा के जलेस सदस्यों में हर्ष की लहर दौड़ गयी। उन्होंने दूरभाष पर ही श्री मिश्र को बधाइयाँ दीं।
सम्मान प्राप्त कर लौटने पर श्री मिश्र को जलेस की बैठक में उनकी साहित्यिक यात्रा और सम्मान पर चर्चा की जायेगी। उनकी साहित्यिक यात्रा और सम्मान पर एक विशेष रिपोर्ट भी प्रकाशित की जायेगी।
7 नवंबर 2010
'आकुल' का क्रॉसवर्ड वेब पत्रिका "अभिव्यक्ति" से आरंभ


ई पत्रिका अभिव्यक्ति ने 1 नवम्बर 2010 से गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' के साहित्य सहयोग और श्रीमती रश्मि आशीष के विशेष तकनीकी सहयोग से गद्य विधा के लिये आरंभ की गयी ई पत्रिका अभिव्यक्ति पर क्रॉसवर्ड आरंभ किया है। साप्ताहिक आरंभ हुए क्रॉसवर्ड को प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित किया जायेगा। पत्रिका हर सोमवार को परिवर्धित होती है।
'आकुल' जाने माने क्रॉसवर्ड मेकर हैं। देश के प्रमुख समाचार पत्रों अमर उजाला, नवभारत, सांध्य क्रोनिकल, अकिंचन भारत, गुजरात वैभ्ाव आदि पत्र पत्रिकाओं के लिए उनके लगभग 6000 क्रॉसवर्ड हिंदी में और 500 क्रॉसवर्ड अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुके हैं। क्रॉसवर्ड पर उनकी शृंखलाबद्ध पुस्तकें शीघ्र बाजार में आने वाली हैं। क्रॉसवर्ड पर पुस्तक प्रकाशन का कार्य अपने अंतिम चरणों में है।
हिंदी त्रैमासिक पत्रिका दृष्टिकोण के सम्पादक श्री रघुनाथ मिश्र ने बताया कि वेब की दुनिया में यूँ तो अंग्रेजी की क्रॉसवर्ड विधा पर अनेकों गेजेट उपलब्ध हैं जिन्हें आप इंटरनेट पर खेल कर आनंद और ज्ञान दोनों बढ़ा सकते हैं,किंतु हिंदी में संभवतया यह पहला प्रयोग है। अभिव्यक्ति पर यह क्रॉसवर्ड गेजेट की भाँति लिखा जा सकता है। इस पर अभी और तकनीकी कार्य चल रहा है। यदि वेब पर यह पहला हिंदी क्रॉसवर्ड गेजेट है तो अभिव्यक्ति पत्रिका का वेब पर हिंदी क्रॉसवर्ड आरंभ करने में पहल करने का एक इतिहास बन जायेगा और गोपाल कृष्ण भट्ट क्रॉसवर्ड साहित्य के लिए पहले हिंद वेब क्रॉसवर्ड मेकर बन जायेंगे।
क्रॉसवर्ड को Abhivyakti-hindi.org पर देखा जा सकता है। एक ही प्रबंधन में आरंभ ये ई पत्रिका अपनी विशिष्ट विधा के लिए चर्चित व प्रख्यात है। काव्य जगत् के लिए यह अनुभूति के नाम से छपती है और गद्य विधा में यह अभिव्यक्ति के नाम से प्रकाशित होती है।
क्रॉसवर्ड आरंभ होने पर कोटा के अनेकों साहित्यकारों रचनाकारों व इष्ट मित्रों ने भट्ट को प्रत्यक्ष व दूरभाष पर बधाइयाँ दीं।
छोटे महाप्रभुजी ने अन्नकूट अरोगा

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