गीतिका
छंद- लावणी
विधान- प्रति चरण 30 मात्रा। 16, 14 पर यति अंत एक गुरु वर्ण अनिवार्य।
पदांत- तुम्हें
समांत- आद
कौन करेगा तुम्हें अनुसरण, कौन रखेगा याद तुम्हें।
अगर मिट गए पैरों के ही, चिह्न तुम्हारे बाद तुम्हें ।1।
होगी जो उठ-बैठ तुम्हारी, पहचानेंगे लोग तभी ,
प्रतिभा से कायल होंगें सब, होगा ना अवसाद तुम्हें ।2।
जिनके कदमों ने रोका है, तूफानों को हुए कई,
पीछे मुड़ ना वीर देखते, हो शायद आह्लाद तुम्हें ।3।
‘मत चूके चौहान’ याद कर, बस अवसर का लाभ उठा,
चूका जो अवसर बैठे रह, कर दे ना बरबाद तुम्हें ।4।
जो कर गुजरे उनका पढ़ लो तुम इक दिन इतिहास कभी,
कुछ ऐसा लिख जाओ कल, इतिहास करे अनुवाद तुम्हें ।5।
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