छंद
-"द्विगुणित चौपाई" छंद ।
सम मात्रिक छंद,
मात्रिक भार =16,16 =32
चौपाई छंद के सभी नियम यथावत
सम मात्रिक छंद,
मात्रिक भार =16,16 =32
चौपाई छंद के सभी नियम यथावत
जैसे आरम्भ में द्विकल +त्रिकल +त्रिकल
वर्जित ।
अंत में गुरु अनिवार्य ।
“
माँ ”
कविता, गीत, छंद, चौपाई । सबने महिमा माँ की गाई।।
साधु संत
कवि अवतारों ने, माँ से ही गुरुता है पाई।।
जल सा है
माँ का मन निर्मल। जलसा है माँ से घर हर पल।।
हर रँग में
घुल जाती है ज्यों, निर्मलता शतदल ने पाई।।
माँ गंगाजल, माँ तुलसीदल। माँ गुलाबजल, माँ है संदल।।
माँ की हद
ढूँढी तो देखी, जल-थल-नभ की सी गहराई।।
माँ फूलों की
जैसे बगिया। रंगों में जैसे केसरिया।।
स्वप्न
दिखाती गा गा लौरी. गीतों में रसिया सी पाई।।
माँ वीरा, माँ धी, माँ बहना। माँ अनमोल जड़ी, माँ गहना।।
रूप स्वरूप
धरे जब-जब भी,
दूध दही माखन सी पाई।।
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