1
एक समय था सरकारी स्कूलों में, सभी पढ़ा करते थे
एक समय था सरकारी स्कूलों में, सभी पढ़ा करते थे
खेलकूद,
पाठ्येतर गतिविधियों में, भाग लिया करते थे
शुल्क
भी था मामूली, सर्वांगीण विकास हुआ करता था
सभी
प्रशिक्षित शिक्षक सब छात्रों पर ध्यान दिया करते थे.
2
एक
समय था
शिक्षा की गुणवत्ता थी इक अनुशासन था.
2
परम्परा
गुरु-शिष्य मुखर थी इक आदर्श पठन-पाठन था.
लेकिन
आज राजनीति ने हर शिक्षा को पंगु बनाया,
सरस्वती लक्ष्मी का द्वंद्व हुआ जगजाहिर श्रुतिसाधन था
3
एक समय था दिनचर्या भी, नियमित थी समयानुरूप थी.
3
एक समय था दिनचर्या भी, नियमित थी समयानुरूप थी.
खान-पान, व्यवहार व आदत, भी सदैव समयानुरूप थी.
क्योंकि न अपनाई दिनचर्या, जिसने जो समयानुरूप थी.
4
4
एक समय था, थे
समाज संगठित, धाक थी, बड़े जनों की.
थे’ परिवार संयुक्त, नहीं चिंता, रहती थी, तब अपनों की.
अब परिवार, हुए छोटे हैं, चमक हुई, रिश्तों की फीकी,
भाते रिश्ते गै़र, चमक भाती जैसे, नकली गहनों की.
5
5
एक
समय था भिश्ती नाली,
साफ़ किया करते थे हर दिन.
कचरा और गंदगी नियमित, साफ़ हुआ करती थी हर दिन.
आरक्षण का कहर भोगता, उथल-पुथल होता जन जीवन,
गाँव, शहर, पथ डूबा करते, हैं वर्षा ऋतु में अब हर दिन.
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कचरा और गंदगी नियमित, साफ़ हुआ करती थी हर दिन.
आरक्षण का कहर भोगता, उथल-पुथल होता जन जीवन,
गाँव, शहर, पथ डूबा करते, हैं वर्षा ऋतु में अब हर दिन.
6
एक
समय था घर का स्वामी, ही घर का कर्त्ता-धर्ता था.
सब
थे उसके तले सुरक्षित, निर्णय उसका ही चलता था
बदली
है संस्कृति अब बच्चे-बहू बेटियाँ नहीं सुरक्षित,
मोबाइल
बजते हैं आज जहाँ, उसका डंका बजता था.
7
7
एक समय था, बिना मार्ग-दर्शन रहता था, ज्ञान अधूरा.
बदला समय, मचलते देखीं, जीवन में’ महत्वाकांक्षाएँ,
लगा भरा-पूरा बनने को, कम है यह जीवन भी पूरा.
नूरा कुश्ती- कुश्ती जिसमें निर्णय पहले से तय होता है.
8
8
एक
समय था,
धर्म, आस्था, वर्गवाद के कई धड़े थे.
दलित,
सवर्ण, अंधविश्वासी, पूँजीपतियों के झगड़े थे.
जबसे
चली स्वच्छ भारत की हवा छँटी है धुंध देश में,
हुए
उजागर भ्रष्ट लोग महलों, शहरों में अटे पड़े थे.
9
एक समय था, बच्चों में सहिष्णुता थी, उल्लास ख़ूब था.
शिक्षा की थी, एक व्यवस्था, खेल-कूद अरु हास ख़ूब था.
बढ़ी महत्वाकांक्षाएँ, आक्रोश बढ़ा है बच्चों में अब,
सपने तो, तब भी पूरे होते थे, वक़्त भी' पास ख़ूब था.
शिक्षा की थी, एक व्यवस्था, खेल-कूद अरु हास ख़ूब था.
बढ़ी महत्वाकांक्षाएँ, आक्रोश बढ़ा है बच्चों में अब,
सपने तो, तब भी पूरे होते थे, वक़्त भी' पास ख़ूब था.
10
एक समय था, बहू घरों में, सास संग घूँघट लेती थी.
रंग-रूप, लावण्य, अंग अरु चंचलता सिमटी रहती थी.
सबसे पहले घोर बगावत, करी चाँद ने होगी जग में,
तभी चाँद तिल-तिल मरता था और चादनी चुप रहती थी.
रंग-रूप, लावण्य, अंग अरु चंचलता सिमटी रहती थी.
सबसे पहले घोर बगावत, करी चाँद ने होगी जग में,
तभी चाँद तिल-तिल मरता था और चादनी चुप रहती थी.
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