5 जुलाई 2011

वसुधैवकुटुम्‍बकम्












मुझे हर ग़ज़ल मज्‍़मूअ: दीवान लगता है।
हर सफ़्हा क़ि‍‍ताबों का क़ुरआन लगता है।
सुना है हर मुल्क़ में बसे हैं हि‍न्दुस्तानी,
मुझे सारा संसार हि‍न्दुस्तान लगता है।

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