आधार छंद- सरसी,
मात्रा भार- 27 (चौपाई+दोहे का सम चरण).
16,11 पर यति, अंत 21 से.
जननी जन्मभूमि भारत माँ, तू है कृपानिधान.
रहे सदा अक्षुण्ण ते'री माँ, आन बान औ शान.
अभ्यंग कराये' यहाँ गंगा, धोएँ जलनिधि पैर,
तेरे लिए असुर, सुर, ऋषि, मुनि, सब हैं एक समान.
शत-शत बार प्रणाम करूँ माँ, ध्याऊँ यही सदैव,
कर्मभूमि यह, मातृभूमि यह, सदा रहे अभिमान.
कण-कण में ईश्वर हैं पलते, भक्तिभाव के रूप,
हैं यहाँ पावन-पुष्ट-पुनीत, अवतारों का स्थान.
सत्य-अहिंसा-धर्म जहाँ पर, पाठ पढ़ें सब नित्य,
भूमि यहाँ पर सिद्ध है' ढाई, अक्षर प्रेम विधान.
मात्रा भार- 27 (चौपाई+दोहे का सम चरण).
16,11 पर यति, अंत 21 से.
जननी जन्मभूमि भारत माँ, तू है कृपानिधान.
रहे सदा अक्षुण्ण ते'री माँ, आन बान औ शान.
अभ्यंग कराये' यहाँ गंगा, धोएँ जलनिधि पैर,
तेरे लिए असुर, सुर, ऋषि, मुनि, सब हैं एक समान.
शत-शत बार प्रणाम करूँ माँ, ध्याऊँ यही सदैव,
कर्मभूमि यह, मातृभूमि यह, सदा रहे अभिमान.
कण-कण में ईश्वर हैं पलते, भक्तिभाव के रूप,
हैं यहाँ पावन-पुष्ट-पुनीत, अवतारों का स्थान.
सत्य-अहिंसा-धर्म जहाँ पर, पाठ पढ़ें सब नित्य,
भूमि यहाँ पर सिद्ध है' ढाई, अक्षर प्रेम विधान.
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