आनंदवर्धक छंद
2122 2122 212
( 3,10,17वाँ लघु (1) वर्ण अनिवार्य है)
( 3,10,17वाँ लघु (1) वर्ण अनिवार्य है)
पदांत- है आज क्यों
समांत- अमी
जिन्द़गी में कुछ कमी
है आज क्यों
आँख में भी कुछ नमी
है आज क्यों
क्यों लगे हैं टूटने
घर आँगने,
बर्फ रिश्तों में
जमी है आज क्यों
क्या शहर क्या गाँव
भी हैरान हैं
हर तरफ फैली ग़मी है
आज क्यों
पी ज़हर आकाश नीला हो
रहा,
बुत बना सा आदमी है
आज क्यों
सोच लो ‘आकुल’
प्रदूषण है ज़हर
जग बचाना लाज़मी है आज
क्यों
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