कुछ ऐसा हो जाए।।
शिक्षा संस्कृति
धर्म सनातन।
यतीमों को अपने मिल
जाएँ।
ना जिनके हों घर मिल
जाएँ।
हर इंसाँ संतुष्टि पाए।
कुछ ऐसा हो जाए।।
गुलशन में नहीं पतझड़
आएँ।
हरसू खेत सदा
लहराएँ।
हर पथ वृक्षों से छा
जाएँ।
इंद्रधनुष हर रंग दिखाये।
कुछ ऐसा हो जाए।।
सुलभ हों सबके जीवन
यापन।
जीवन जिएँ सभी अधुनातन।
जीवन जिएँ सभी अधुनातन।
परस्पर बढ़े-चढ़े
अपनापन।
विद्वेष के नहीं हों साए।
ताल तलाई नदियाँ
छलकें।
व्यवस्थित हों
पगडडीं सड़कें।
राही मार्ग कभी ना
भटकें।
मंजिल ही खुद चल कर आए।
कुछ ऐसा हो जाए।।
रोग निदान चिकित्सा
साधन।
जुटें सब यंत्र
तंत्र संसाधन।
जीवन रक्षक जड़ी
प्रसाधन।
मृत्यु आने से घबराए।
कुछ ऐसा हो जाए।।
अवतारों की भूमि
पावन।
देव करें वंदन
अभिवादन।
भारत विश्वगुरु कहलाए।
कुछ ऐसा हो जाए।।
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