12 अक्तूबर 2020

आजकल कोई किसी को टोकता कब है

गीतिका


छंद- रजनी
मापनी- 2122 2122 2122 2
पदांत- कब है
समांत- अता
आजकल कोई किसी को टोकता कब है?
जान कर अनजान बनता बोलता कब है?
 
भोगना बनवास अपने भाग का है तय,
दु:ख का सुख का बयाना जोड़ता कब है?
 
क्‍यों नहीं है धैर्य है जल्‍दी में' जाने क्‍यों,
प्‍यास को थोड़े समय तक रोकता कब है?
 
क्‍यों बना लेता स्‍वयं ही धारणा कोई,
भीड़ में अपना पराया खोजता कब है?
 
धड़कनें ही तो समय से तेज हैं चलतीं,
इन मुई साँसों की’ कोई सोचता कब है?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें