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कक्षा 6 के लिए - कक्षा 8 के लिए -
धरती को हम स्वर्ग बनाएँँ आने वाला कल
आओ अब सौगंध यह खाएँ। आने वाला कल ढेरों सौगात लिए आये।
धरती को हम स्वर्ग बनाएँ ।। सुख समृद्धि,वैभव,अमन की बात लिए आये।
स्वच्छ धरा, हर मार्ग स्वच्छ हो । प्रगति पथ पर चल अडिग स्थापित हो हर करम,
गली-गली हर मार्ग वृक्ष हो । संघर्ष कर कैसा भी वक्त झंझावात लिए आए।
वन, उपवन, कानन सब झूमें । आने वाला कल..........
जल-थल-नभ के प्राणी झूमें । बन न चक्षुश्रुवा न बन तू विष वमनकारी।
महाशक्ति का स्वप्न सजाएँ । चक्रधारी सा बन न बन कुचक्री षड्यंत्रकारी।
धरती को हम स्वर्ग बनाएँ ।। चंचल न बनना उदधि सा, न तूफान सा वेगवान्,
नदिया, पोख, ताल, सरोवर। धर धरा सा धैैैैर्धै धैर्य की प्रमिमान ज्यों नारी ।
भरने आयें श्याम पयोधर। नव ऊर्जा लिए, नव वर्ष नव प्रभात लि आए ।
झूमें खेती, झूमें घर-घर। आने वाला कल..........
अन्न उगाएँ झोली भर भर। युवाशक्ति की बेलगाम दौड़ रुके ।
हर दिन एक त्योहार बनाएँ। भ्रष्टाचार में डूबे हुओं की अंधीदौड़ रुके ।
धरती को हम स्वर्ग बनाएँ ।। घरफोड़ संस्कारों की बाधादौड़ रुके ।
मर्यादा अनुशासन संस्कृति । राजनीतिक स्वार्थ की भी जोड़-तोड़ रुके ।
नारी का सम्मान हो नित प्रति । रामराज्य न सही, स्वराज्य लिए आए ।
जननी, गो और मातृभक्ति हो । आने वाला कल..........
पर सर्वोपरि रार्ष्टभक्ति हो । बंद हो आरक्षण की बंदर बॉंट नीति।
भाषा के प्रति प्रीत बढ़ाएँ । जाति भेद-भाव की यह है नई कुरीति ।
धरती को हम स्वर्ग बनाएँ ।। न बाड़ भेद खाये, न भेदी लंका ढाए ।
सर्वधर्म समभाव सभ्यता । समृद्ध हो समाज, सभ्यता और संस्कृति ।
कभी न टूटे तारतम्यता । द्वेष, वैर, खत्म हो, सौहार्द लिए आए ।
राजनीति या कूटनीति हो । आने वाला कल..........
न्याय मिले बस ना अनीति हो । विज्ञान हो प्रोन्नत प्रकृति प्रदूषण हटे हर हाल ।
घर, समाज, जनपद सब गाएँ । आतंकवाद खत्म हो बस शांति हो बहाल ।
धरती को हम स्वर्ग बनाएँ ।। दिग्विजय के मार्ग में अवरोध हो हर खत्म,
षड्-रिपु और त्रिदोष सब भागें । दिमाग में बस देश की उन्नति ही हो सवाल ।
वहीं सवेरा जब हम जागें । बढ चढ़ के ले हिस्सा, आगे संभाग प्रांत आए ।
ना निसर्ग से करें छलावा । आने वाला कल..........
दुर्व्यसनों को न दें बढ़ावा ।।
गुरु त्रिदेव को शीश नवाएँ ।
धरती को हम स्वर्ग बनाएँ ।। आकुल
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