20 सितंबर 2024

कोटा संभाग स्‍तरीय हिन्‍दी दिवस समारोह में ‘आकुल’ के काव्‍य संग्रह ‘इंद्रधनुष बन जाऊँ मैं’ (100 छंद 100 गीतिकाएँ’) का लोकर्पण और उन्‍हें हिंदी सेवी अलंकरण सम्‍मान

दो दिन के अवकाश होने के कारण राजकीय मण्‍डल पुस्‍तकालय, कोटा के डॉ. एस. आर. रंगनाथन कन्‍वेंश्‍नल हॉल में सम्‍भाग स्‍तरीय हिंदी दिवस 12 सितम्‍बर को मनाया गया। इस अवसर पर हिंदी की विभिन्‍न प्रतियोगिताओं में जिले के 45 युवा एवं 25 बाल प्रतिभाओं को युवा/बाल प्रतिभा सम्‍मान से सम्‍मानित किया गया। साथ ही हिंदी दिवस पर आमंत्रित विशिष्‍ट अतिथि डॉ. ‘आकुल’ सहित 10 अतिथियों को हिंदी सेवी अलंकरण सम्‍मान से सम्‍मानित किया गया। विशिष्‍ट अतिथि एवं कोटा के वरिष्‍ठ साहित्‍यकार डॉ. गोपालकृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ के काव्‍य संग्रह ‘इंद्रधनुष बन जाऊँ मैं’ (100 छंद 100 गीतिकाएँ’) का विमोचन भी हुआ।

लता है, जहाँ पाम्‍परिक ज्ञान और आधुनिक नवाचार एक साथ मिलते हैं।

समारोह की अध्‍यक्षता कला महाविद्यालय, कोटा के एसोसिएट प्रोफेसर रामावतार मेघवाल ने की। बीज भाषण अतिथि प्रोफसर के. बी. भरतीय ने दिया। हिन्‍दी की दशा दिशा पर कला महाविद्यालय के ही प्रोफसर डॉ. विवेक मिश्र ने अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम पर रखे गए विषय हिदी का वैश्विक संदर्भ- चुनौतियाँ एवं संभावना पर अतिथियों ने अपने विचार रखे।


छंदों पर आधारित पुस्‍तक का विमोचन सभी अतिथियों ने किया। पुस्‍तक का परिचय व छंदों पर अपनी बात करते हुए डॉ. आकुल ने बताया कि छंद वेदों से आए हैं। छंदों को वेदपुरुष का चरण बताते हुए कहा कि वेदों के छ: अंग हैं शिक्षा, व्‍याकरण, कल्‍प, छंद, निरुक्‍त और ज्‍योतिष। आज शैक्षिक पाठ्यक्रमों में शिक्षा, व्‍याकरण और शब्‍द शास्‍त्र (निरुक्‍त) को सम्मिलित किया गया है किंतु छंद को नहीं। हम माध्‍यमिक शिक्षा से कबीर, रहीम के दोहे सम्मिलित करते हैं किंतु छंदों के प्राथमिक ज्ञान तक को शिक्षा के पाठ्यक्रमों मेकं सम्मिलित नहीं किया जाता, जिसकी आज आवश्‍यकता है। छंद हमारे चारों ओर बिखरे पड़े हैं, हम बोलते हैं, गाते हैं, हमें कंठस्‍थ तक हैं किंतु हम नहीं जानते कि ये किन किन छंदों में रचे हुए हैं। उन्‍होंने कितने ही गीतों, श्‍लोंकों, मंगलाचरणों, प्रार्थना, मंत्रों, प्रार्थनाओं आदि का उदाहरण दे कर छंदों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि हमारी आराध्‍य सम्‍पूर्ण पवित्र गीता  अनुष्‍टुप् छंद पर आधारित है। कालिदास का

मेघदूत सम्‍पूर्ण मंदाक्रांता छंद पर आधारित है। अंत में उन्‍होंने ‘छंदों का ज्ञान हमें वेदों की ओर मोड़ेगा तभी हम वसुधैवकुटुम्‍बकम और विश्‍वगुरु की संकल्‍पना को तभी साकार कर सकते हैं’ से वक्‍तव्‍य का समाहार किया 


समारोह में सभी को प्रतिभा सम्‍मान और हिंदी सेवी अलंकरण सम्‍मान वितरित किये गय। पुस्‍तकालयाध्‍यक्ष डॉ. शशि जैन ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया।  

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