9 सितंबर 2012

अपनी हिन्‍दी

कुण्‍डलियाँ

(1)
हिन्‍दी के उन्‍नयन को, बने एक सहमति।
नुक्‍कड़ नाटक, हस्‍ताक्षर अभियान चले द्रुतगति।
अभियान चले द्रुतगति सुखद परिणाम आएगा।
पांचजन्‍य की फूँक से जग जाग जाएगा।
कह ‘आकुल’ कविराय, आज है दूजी हिन्‍दी।
निश्‍चय शीर्ष शिखर पर होगी अपनी हिन्‍दी
(2)
आज राष्‍ट्र के सामने, खड़ी हैं कई चुनौती।
समाधान कैसे करें, लगी हैं कई पनौती।
लगी है कई पनौती, मार्ग अवरोधों वाले।
भ्रष्‍टाचार दलदली, दल प्रतिरोधों वाले।
कह ‘आकुल कविराय, चुनौती ले हर राज।
कल पर छोड़ा ध्‍येय तो, टल जाएगा आज
(3)
साहित्‍य सुधा रस धारा, अंत:सलिला सी बहती।
ध्‍येय लिए निर्बाध लेखनी हरदम चलती रहती
हरदम चलती रहती आई हैं युग बोध हवायें।
भाषा ने दिखलाई हैं स्‍वाधीनी चहूँ दिशायें।
कह ‘आकुल’ कविराय लेखनी बने ज्‍योतिरादित्‍य।
लिक्‍खें हिन्‍दी भाषा पर कवि युगबोधन साहित्‍य

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