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25 सितंबर 2012
नवगीत की पाठशाला: १३. जब से मन की नाव चली
नवगीत की पाठशाला: १३. जब से मन की नाव चली: जब से मन की नाव चली, अँगना छूटा घर गलियाँ भी पनघट कहाँ, कहाँ अठखेली, जमघट से बाजार पटे बटवृक्षों की थाती इतनी, रिश्तों के भ्रमजाल हटे ...
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