बस बात करें हम हिन्दी की।
नहीं चंद्रबिन्दु और बिन्दी की।
ना बहसें, तर्क, दलीलें दें,
हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।।
हों घर-घर बातें हिन्दी की।
ना हिन्दू-मुस्लिम-सिन्धी की।
बस सर्वोपरि सम्मान करें,
पथ-पथ हो ख्याति हिन्दी की।
ना जात-पाँत हो हिन्दी की।
बस जन जाग्रति का यज्ञ करें,
हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।
इक धर्म संस्कृति हिन्दी की।
बस ना हो दुर्गति हिन्दी की।
सम्प्रभुता का ध्वज फहरायें,
हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।।
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