1
मंगलमय हो स्वतंत्रता का स्वर्णिम पावन पर्व
जन-जन को पुलकित कर दे ऐसा मनभावन पर्व
नये जोश और नई उमंगों का प्रतिपादन पर्व
अमर शहीदों की स्मृति का यह अभिवादन पर्व
मंगलमय हो-------------
वीर सपूत, हुतात्माओं का गुणगान करें हम
योगदान करने वालों का दिनभर घ्यान करें हम
जिनसे है स्वाधीन धरा उनका जयगान करें हम
नेहरू, गाँधी, पाल, तिलक का यह पारायण पर्व
मंगलमय हो-------------
अनुशीलन, मंथन, चिंतन कर दृढ़ संकल्पित हों
मार्ग बहुत है कण्ट-कीर्ण ना पथ परिवर्तित हों
परिवीक्षण कर कुछ करने आगे अग्रेषित हों
नि:स्वार्थ, दिलेर युवाओं का यह अन्न प्राशन पर्व
मंगलमय हो------------
आज पुन: इक प्राणप्रतिष्ठा, का हम करें आचमन
अवगुंठन अवचेतन मन से हट कर करें आचरण
घोर समस्याओं का ही अब करना है निस्तारण
अक्षुण्ण रहे सम्यता-संस्कृति का यह मणिकांचन पर्व
मंगलमय हो------------
आओ हम ध्वज का वंदन कर राष्ट्रगान गायें।
आगम का हम करें सुस्वागत कीर्तिगान गायें।
सब मिल कर समवेत स्वरों में देशगान गायें।
गंगा जल से अब वसुधा का हो प्रक्षालन पर्व।
मंगलमय हो------------
2
परिवर्तन की एक नई आधारशिला रखना है।
न्याय मिले बस इसीलिए आकाश हिला रखना है।
द्रवित हृदय में मधुमय इक गु़लजार खिला रखना है।
हर दम संकट संघर्षों में हाथ मिला रखना है।
अमर शहीदों की शहादत का इंडिया गेट गवाह है।
ग़दर वीर जब बिफरे अंग्रेजों का हश्र गवाह है।
स्वाह हुए कुल के कुल अक्षोहिणी कुरुक्षेत्र गवाह है।
तब से जो भी हुआ आज तक सब इतिहास गवाह है।
दो लफ्जों में उत्तर ढूँढ़े हो स्वतंत्र क्या पाया?
हर कूचे और गली गली में क्यूँ सन्नाटा छाया?
जात पाँत का भेद मिटा क्या राम राज्य है आया?
रख कर मुँह को बंद जी रहे क्यों आतंकी साया?
ग्लोबल वार्मिंग, भ्रष्टाचार, महँगाई, प्रदूषण, आबादी।
याद रखेगा हर प्राणी अब जल थल नभ की बरबादी।
रहे न हम गर जागरूक पछतायेंगे जी आजादी।
हर हाल न मानव मूल्य सहेज सके तो कैसी आज़ादी।
भाग्य विधाता, सत्यमेव जयते, जन गण मन गाते।
रस्म रिवाज़ निभाते और हर उत्सव पर्व मनाते।
तब से भारत माता की जय कह कर जोश बढ़ाते।
मेरा भारत है महान् नहीं कहते कभी अघाते।
राम रहीम कबीर सूर की वाणी को दोहराते।
महका दो अपनी धरती को हरा भरा रखना है।
हार नहीं हर हाल प्रकृति को अब सहेज रखना है।
न्याय मिले बस इसीलिए आकाश हिला रखना है।
परिवर्तन की एक नई आधारशिला रखना है।
परिवर्तन की एक नई आधारशिला रखना है।
न्याय मिले बस इसीलिए आकाश हिला रखना है।
द्रवित हृदय में मधुमय इक गु़लजार खिला रखना है।
हर दम संकट संघर्षों में हाथ मिला रखना है।
अमर शहीदों की शहादत का इंडिया गेट गवाह है।
ग़दर वीर जब बिफरे अंग्रेजों का हश्र गवाह है।
स्वाह हुए कुल के कुल अक्षोहिणी कुरुक्षेत्र गवाह है।
तब से जो भी हुआ आज तक सब इतिहास गवाह है।
दो लफ्जों में उत्तर ढूँढ़े हो स्वतंत्र क्या पाया?
हर कूचे और गली गली में क्यूँ सन्नाटा छाया?
जात पाँत का भेद मिटा क्या राम राज्य है आया?
रख कर मुँह को बंद जी रहे क्यों आतंकी साया?
ग्लोबल वार्मिंग, भ्रष्टाचार, महँगाई, प्रदूषण, आबादी।
याद रखेगा हर प्राणी अब जल थल नभ की बरबादी।
रहे न हम गर जागरूक पछतायेंगे जी आजादी।
हर हाल न मानव मूल्य सहेज सके तो कैसी आज़ादी।
भाग्य विधाता, सत्यमेव जयते, जन गण मन गाते।
रस्म रिवाज़ निभाते और हर उत्सव पर्व मनाते।
तब से भारत माता की जय कह कर जोश बढ़ाते।
मेरा भारत है महान् नहीं कहते कभी अघाते।
राम रहीम कबीर सूर की वाणी को दोहराते।
महका दो अपनी धरती को हरा भरा रखना है।
हार नहीं हर हाल प्रकृति को अब सहेज रखना है।
न्याय मिले बस इसीलिए आकाश हिला रखना है।
परिवर्तन की एक नई आधारशिला रखना है।
परिवर्तन की एक नई आधारशिला रखना है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!