विगत वर्ष अब साँसें थामे
करने को आगत का स्वागत
अति उत्सहित है,’अभ्यागत’
आओ हे नववर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
रश्मिरथी के दिव्यासन पर सप्तशृंगार किये आए हो
उदधि विलोडन से निकला क्या हालाहल अमृत लाए हो
आशाएँ बहुतों ने तुमसे हैं बाँधी
भरे फफोलों हाथों झेली हैं आँधी
बरकत दो इस वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
परिणति हो ऐसी सुख समृद्धि घर आए
घर का भेदी कभी कहीं ना लंका ढाये
लाओ खुशियाँ घर में रोली कुमकुम बरसे
कोई कहीं ना लुटापिटा सा गुमसुम तरसे
उत्कर्ष बने यह वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
चहुँ दिश प्रगति राष्ट्र की प्रशस्त बने
हर तबके को न्याय मिले आश्वस्त बने
हर माँ अब अपनी कोखों से वीर जने
लिखें वीर रस कवि कविता नवगीत बने
स्वागत है इस वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
करने को आगत का स्वागत
अति उत्सहित है,’अभ्यागत’
आओ हे नववर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
रश्मिरथी के दिव्यासन पर सप्तशृंगार किये आए हो
उदधि विलोडन से निकला क्या हालाहल अमृत लाए हो
आशाएँ बहुतों ने तुमसे हैं बाँधी
भरे फफोलों हाथों झेली हैं आँधी
बरकत दो इस वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
परिणति हो ऐसी सुख समृद्धि घर आए
घर का भेदी कभी कहीं ना लंका ढाये
लाओ खुशियाँ घर में रोली कुमकुम बरसे
कोई कहीं ना लुटापिटा सा गुमसुम तरसे
उत्कर्ष बने यह वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
चहुँ दिश प्रगति राष्ट्र की प्रशस्त बने
हर तबके को न्याय मिले आश्वस्त बने
हर माँ अब अपनी कोखों से वीर जने
लिखें वीर रस कवि कविता नवगीत बने
स्वागत है इस वर्ष तुम्हारा अभिनन्दन।
आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं..
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