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25 सितंबर 2012
नवगीत की पाठशाला: १३. जब से मन की नाव चली
नवगीत की पाठशाला: १३. जब से मन की नाव चली: जब से मन की नाव चली, अँगना छूटा घर गलियाँ भी पनघट कहाँ, कहाँ अठखेली, जमघट से बाजार पटे बटवृक्षों की थाती इतनी, रिश्तों के भ्रमजाल हटे ...
19 सितंबर 2012
जय गणेश देवा
कुण्डलियाँ
(1)
श्रीगणेश, हे अष्टविनायक, शैलसुता के नंदन।
प्रथम पूज्य, गणपति, गणनायक करूँ आरती वंदन।
करूँ आरती वंदन बुद्धि-बल, दो सामर्थ्य गजानन।
भव बाधाऍं हरो, समस्याओं का करो निवारण।
कह ‘आकुल’ कविराय सदैव हो मुझ पर कृपा विशेष।
ले गणेश का नाम किया हर काम का श्रीगणेश।।
जनम दिवस है आज भावना भक्ति करूँ अतिरेक।
सिंदूर लगाऊँ, चोला बदलूँ और करूँ अभिषेक।
और करूँ अभिषेक धरूँ, गुड़धानी मोदक भोग।
ॠद्घि-सिद्धि संग करो पवित्र घर आरोगो महाभोग।
कह ‘आकुल’ कविराय लिखूँ मैं महिमा उठा कलम।
हे गणपति आश्रय में लेना मुझको जनम जनम।।
(3)
इनका गजमुख, एकदन्त, लम्बोदर, मूषक वाहन।
इनका गजमुख, एकदन्त, लम्बोदर, मूषक वाहन।
चार भुजाधारी गणपति का रूप बड़ा मनभावन।
रूप बड़ा मनभावन गण गणाधिपति देव लुभाएँ।
कह ‘आकुल’ कविराय मनायें पर्व चतुर्थी इनका।
14 सितंबर 2012
हिन्दी ज़िन्दाबाद
हिन्द की है शान हिन्दी
हिन्द की है आन हिन्दी
हिन्द का अरमान हिन्दी
हिन्द की पहचान हिन्दी
इसपे न उँगली उठे रहे सदा आबाद।
वक्त जन आधार का है
हिन्दी पर विचार का है
काम ये सरकार का है
जीत का न हार का है
हिन्दी से ही आएगा नया समाजवाद।
हिन्दी ज़िन्दाबाद।।
हिन्दी को महत्व दें
हिन्दी को ममत्व दें
हिन्दी को निजत्व दें
हिन्दी को अपनत्व दें।
हिन्दी में हो बातचीत और हर संवाद।
हिन्दी ज़िन्दाबाद।।
10 सितंबर 2012
हिन्दी को करें बेहिसाब प्यार
हिन्दी को करें हम अब, बेहिसाब प्यार।
सीखें, बोलें इसकी बतायें विशेषता।
भाषाएँ दिखादें अनेकता में एकता।
राष्ट्र की हो एक भाषा एक रूपता।
विश्व में तभी बनेगी इसकी श्रेष्ठता।
हिन्दी को करें हम अब, बेहिसाब प्यार।
सागर ने टी0वी0 सीरियल रामायण हिन्दी में।
बी0आर0चौपड़ा ने महाभारत हिन्दी में।
गाता है पूरा देश राष्ट्रगान हिन्दी में।
हिन्दी बोलें, पढ़ें ओर गाएँ साधिकार।
हिन्दी को करें हम अब, बेहिसाब प्यार।
विदेश में प्रवासी हैं हिन्दी के प्रतिनिधि।
भारत है संस्कृति सभ्यता का महा उदधि।
विदेशी आकर्षण से बँधे आते हैं सन्निधि।
आओ करें ऐसा कुछ हो जाए चमत्कार।
हिन्दी को करें हम अब, बेहिसाब प्यार।
आकुल, कोटा
9 सितंबर 2012
अपनी हिन्दी
कुण्डलियाँ
(1)
हिन्दी के उन्नयन को, बने एक सहमति।
नुक्कड़ नाटक, हस्ताक्षर अभियान चले द्रुतगति।
अभियान चले द्रुतगति सुखद परिणाम आएगा।
पांचजन्य की फूँक से जग जाग जाएगा।
कह ‘आकुल’ कविराय, आज है दूजी हिन्दी।
निश्चय शीर्ष शिखर पर होगी अपनी हिन्दी।
(2)
आज राष्ट्र के सामने, खड़ी हैं कई चुनौती।
समाधान कैसे करें, लगी हैं कई पनौती।
लगी है कई पनौती, मार्ग अवरोधों वाले।
भ्रष्टाचार दलदली, दल प्रतिरोधों वाले।
कह ‘आकुल” कविराय, चुनौती ले हर राज।
कल पर छोड़ा ध्येय तो, टल जाएगा आज।
(3)
साहित्य सुधा रस धारा, अंत:सलिला सी बहती।
ध्येय लिए निर्बाध लेखनी हरदम चलती रहती।
हरदम चलती रहती आई हैं युग बोध हवायें।
भाषा ने दिखलाई हैं स्वाधीनी चहूँ दिशायें।
कह ‘आकुल’ कविराय लेखनी बने ज्योतिरादित्य।
लिक्खें हिन्दी भाषा पर कवि युगबोधन साहित्य।
8 सितंबर 2012
साक्षरता
कुण्डलियाँ
(1)
बच्चे-बूढ़े-प्रोढ़-नार-नर, सब हों अक्षरज्ञानी।
कैसे समझेंगे दुनिया को, अनपढ़ और अज्ञानी।
अनपढ़ और अज्ञानी प्राय:, रहें कूप मण्डूक।
मिले सफलता उनको ही, न भूल करें न चूक।
कह ‘आकुल’ कविराय साक्षर, कभी न खायें गच्चे।
प्रगति सुनिश्चित जहाँ साक्षर, नर, नारी और बच्चे।।
(2)
कल पढ़ता हो आज पढ़, पढ़ना ही भवितव्य।
कंटकीर्ण है मार्ग अशिक्षित, दूर बहुत गंतव्य।
दूर बहुत गंतव्य मिलेंगे, धोखे, छल, प्रतिकारी।
और मिलेंगे मूढ़, निरक्षर, पाखण्डी, व्यभिचारी।
कह ‘आकुल’ कविराय, सँवारे साक्षरता हर पल।
संस्कार से आत्मशुद्धि, शिक्षा से आज और कल।।
(3)
जनसंख्या वृद्धि, महँगाई, पर्यावरण अनदेखी।
कभी न समझे वृक्षारोपण, सदा करी अनदेखी।
सदा करी अनदेखी हो घर-घर शिक्षा अनिवार्य।
ढाणी-गाँव बचे न कोय निरक्षर भट्टाचार्य।
कह ‘आकुल’ कविराय बढ़ानी होगी साक्षर संख्या।
कहिं न हमारी चीन देश से बढ़ जाये जनसंख्या।।
(विश्व साक्षरता दिवस पर)
7 सितंबर 2012
हिन्दी के लिए
बहुत रहे संघर्षरत अब पर्व मनायें।
दूजी सीढ़ी पर हैं गौरव गाथा गाये।
इससे ही कुछ ऐसा यदि हो जाये कदाचित्,
जल्दी पहली सीढ़ी का हम उत्स मनायें।
अभियान चले दिग्विजयी हो हिंदी निश्चय ही।
चिट्ठे, पत्र-पत्रिका, अंतरजाल सुलभ।
जिनने किया प्रशस्त मार्ग ना अब दुर्लभ।
भाव शैली कैसी भी हो बस बोलें हिन्दी,
हिन्दी भाषा शब्द कोश की स्वर सौरभ।
आज बनी है जो स्थिति गर्वित निश्चय ही।
विश्वगुरु के लिए सन्मार्ग प्रशस्त करेगी।
हिन्दी से है हिन्दुस्तान आश्वस्त करेगी।
फैलेगी ख्याति इसकी अतुलित अगणित,
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को विश्वस्त करेगी।
6 सितंबर 2012
बस बात करें हम हिन्दी की

बस बात करें हम हिन्दी की।
नहीं चंद्रबिन्दु और बिन्दी की।
ना बहसें, तर्क, दलीलें दें,
हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।।
हों घर-घर बातें हिन्दी की।
ना हिन्दू-मुस्लिम-सिन्धी की।
बस सर्वोपरि सम्मान करें,
पथ-पथ हो ख्याति हिन्दी की।
ना जात-पाँत हो हिन्दी की।
बस जन जाग्रति का यज्ञ करें,
हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।
इक धर्म संस्कृति हिन्दी की।
बस ना हो दुर्गति हिन्दी की।
सम्प्रभुता का ध्वज फहरायें,
हम हिन्दुस्तानी, हिन्दी की।।
5 सितंबर 2012
शिक्षक
जो शिक्षित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।
जो दीक्षित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते है।
दिशा दिखाये, दे दृष्टांत, आगाह करे, अपनाये,
प्रतिरक्षित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।
दे कर अक्षर ज्ञान चढ़ाये, शिक्षा के सोपान।
अनुशासन, जीवन संस्कृति का, देता जो संज्ञान।
धर्म, कर्म, सौहार्द प्रेम का, देता है जो ज्ञान।
परिमार्जित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते है।
प्रलय प्रभंजन से ले कर, अवतारों की गाथायें।
लिख जाये परिवर्तन की, आधारभूत रचनायें।
परिवर्धित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते है।
सौर जगत् का शिरोधार्य, पारसमणि है ज्यूँ दिनकर।
जीव जगत् का अहोभाग्य, मानव मणि है इस भू पर।
श्री गणेश करते महाआशुलिपिक का, सब पूजन कर।
अभिमंत्रित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।
गुरु की महिमा अपरंपार, बखानी है ग्रंथों ने।
हरि, मुनि, असुर, देव, दानव, ज्ञानी, समस्त पंथों ने।
क्या पुराण, क्या वेद शास्त्र के, रचयिता संतो ने।
स्थापित करता, हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं।
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(शिक्षक दिवस पर)
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