1
वृक्षारोपण हों लगें, जगह
जगह पर पेड़।
पेड़ों से छायें भवन, पथ
पगडंडी मेड़।
पथ पगडंडी मेड़, प्रदूषण
मुक्त करायें।
ग्राम ग्राम चौपाल, बाग में पेड़ लगायें।
वन उपवन की शान, करें हम
वृक्षारोपण।
2
जगह जगह पर पेड़ हों, गाँव लगें वनग्राम।
वृक्षों की छाया तले, करें सभी विश्राम।
करें सभी विश्राम, प्रकृति से नेह बढ़ायें।
पूजें दशकुल वृक्ष, पुष्प नैवेद्य चढ़ायें।
कह ‘आकुल’ कविराय, परिश्रम दुख सुख सह कर।
बाग बगीचे पेड़, लगायें जगह जगह पर।।
3-
जल, प्रकृति, वृक्षारोपण, पर हो गूढ़ विचार।
इनकी रक्षा के लिए, दें सुविज्ञ सुविचार।
दें सुविज्ञ सुविचार, कोष स्वीकार करायें।
जनता को लें साथ, प्रचार प्रसार करायें।
कह ‘आकुल’ कविराय, प्रभावित है भूमंडल।
वायु प्रदूषण रोक, बचायें प्रकृति, भूमि, जल
विश्व पर्यावरण दिवस पर कुण्डलिया छंद
वायु प्रदूषण रोक, बचायें प्रकृति, भूमि, जल
विश्व पर्यावरण दिवस पर कुण्डलिया छंद
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