छंद- पदपादाकुलक चौपाई छंद (राधेश्यामी)
मापनी रहित
मात्रा भार- 16, 16 = 32
पदांत- बनायें
समांत- अल
कर्म करें कर्तव्य निभाएँ, इस जीवन को सरल बनायें.
मात्रा भार- 16, 16 = 32
पदांत- बनायें
समांत- अल
मिलती भी हैं असफलताएँ, कर्मक्षेत्र
को सबल बनायें.
यह जीवन अनमोल मिला है, मिल जुल कर जीवन को जी लें,
करें प्रेम का बीजारोपण, संस्कारों की फसल बनायें.
मात-पिता रिश्ते-नातों से, मिलता है सम्बल निश्चित ही,
घर समाज की नींव बने दृढ़, ऐसा सुंदर महल बनायें.
जीवन मंथन है, दलदल में कितने ही जीवन पलते हैं,
कुछ तो है इस दलदल में भी, क्यों न स्वयम् को कमल बनायें.
जीवन देने का सृष्टा का कुछ तो होगा हेतुक ‘आकुल’
जगत्पिता परमेश्वर के इस महा'प्रबंध को सफल बनायें
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