14 अगस्त 2016

क़दम-क़दम चलना होगा



है स्‍वतंत्रता दिवस आज, कुछ करने होंगे वादे।
क़दम-क़दम चलना होगा, अब करके ठोस इरादे।
कई चुनौती आएँँगी पर, अडिग अटल रहना है,
बढ़े हौसलों के दम पूरे करने होंगे वादे।।
क़दम-क़दम चलना होगा......'

बस विकास की बात करेंगे।
एक सभी दिन-रात करेंगे।
कोई बड़ा न छोटा होगा,
कभी न कोई घात करेंगे।
है स्‍वतंत्रता दिवस, करें संकल्‍प बढ़ें फिर आगे।।
क़दम-क़दम चलना होगा.....'

राह भ्‍ाले ही कण्‍टकीर्ण हों।
मन हो साफ़ नहीं संकीर्ण हों।
हो मक़सद फ़ौ़लादी मन में,
चाहे कपड़े जीर्ण-शीर्ण हों।
है स्‍वतंत्रता दिवस, आज से सारे फ़र्क मिटा दे।।
क़दम-क़दम चलना होगा.....'

सुख सुविधाओं की न कमी हो।
बंजर किंचित भी न जमीं हो।
खेत लहलहायें, ऋतु झूमें,
विश्‍वपटल पर धाक जमी हो।
है स्‍वतंत्रता दिवस, आज तू ऐसी हवा चला दे।।
क़दम-क़दम चलना होगा.....'
(हाल ही में प्रकाशित गीत संग्रह 'नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ' से)


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