16 सितंबर 2016

झूठ (दोहे)

झूठ कभी ना जीतता, करलो जतन हजार।
भले देर से ही सही, सच जीते हर बार।।
झूठ 
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झूठ सदा भारी पड़ा, बढ़े अधर्मी पाप।
सत्‍य तभी निर्बल पड़ा, हुए न दृढ हम-आप।
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सत्‍य सदा जो बोलता, रखना पड़े न याद।
एक झूठ  करता सदा, सौ झूठी फरियाद।
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झूठे की रहती सदा, रातों नींद हराम।
सच्‍चा सोता चैन से, कर के सारे काम।।
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झूठ घटाती मुश्किलें, भ्रम तू ये ना पाल।
घर में ही क्‍या कम पलें, दुनिया के जंजाल।

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