30 जून 2017

गीतिका



गीतिका
छंद- चौपई (जयकरी)
मात्रा भार-15, अंत में 2-1 अनिवार्य
पदांत- लोग
समांत- आते


बचते और बचाते लोग
अपनी बीन बजाते लोग

जीवन में पछताते लोग.
बहकावे में आते लोग.

रुपयों का दे दे कर लोभ,
पत्‍थर भी फिंकवाते लोग.

लहसुन आज कभी थी प्याज,
अपनी जान लुटाते लोग.

आए फिर पटरी पर गाँव,
आरक्षण मनवाते लोग.

लोक ग्रसित है पक्षाघात,
तंत्र अशक्‍त बनाते लोग.

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