छ्न्द - लौकिक अनाम मात्रिक (मापनी युक्त)
मापनी- 2122
12 12 22
समांत-
अती
पदांत-
है
एक सच यह कि उम्र ढलती है
सत्य ही है हवा बदलती हैं
भाग्य रेखा करम से’ बनती है.
जिंदगी से बने घरोंदे हैं,
मौत कब इक जगह ठहरती है.
कर गुजर भूल जा गिले-शिकवे,
एक दिन तो बरफ पिघलती है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें