छंद- मनोरम
(अपदांत गीतिका)
बादलों
का नभ पे’ छाना.
दामिनी का कड़कड़ाना.
दे
गई संदेश बारिश,
आ गया मौसम सुहाना.
नृत्य
केकी का सुहाए,
और कोयल का भी’ गाना.
मन
भी' चाहे बालकों सी,
मस्तियाँ करते नहाना.
लोकगायन, नृत्य,
झूले,
उत्स घर घर में मनाना.
मापनी - 2122 2122
दामिनी का कड़कड़ाना.
आ गया मौसम सुहाना.
और कोयल का भी’ गाना.
मस्तियाँ करते नहाना.
उत्स घर घर में मनाना.
है
यही संस्कृति हमारी,
गीत स्वागत में सुनाना
गीत स्वागत में सुनाना
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