19 जुलाई 2018

पी मेरा बस शांत समंदर जैसा हो (गीतिका)

छंद- रास
विधान- मात्रा भार 22. 8,8, 6 पर यति, अंत 112. कथ्‍य / शिल्‍प की माँग हो तो पदांत 22 अनुमन्‍य है.
पदांत- जैसा हो.
समांत- अर

पी मेरा बस, शांत समंदर, जैसा हो.
सुंदरता में, पूनम चंदर, जैसा हो.

बोले तो वह, लगे पास ही, सागर के,
बजतीं झालर, घंटी मंदर, जैसा हो.

हाथ लगाते, फिसले ना वह, साहिल सा,
बाहर वैसा, हो वह अंदर, जैसा हो.

नहीं चाहना, राजपाट धन, दौलत की,
नहीं पुरंदर, नहीं सिकंदर, जैसा हो.

ज्वार न आए, बाढ़ न आए, जीवन में,
कभी नचाये, नहीं कलंदर, जैसा हो.

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