जिंदगी का फलसफा है (गीतिका)
छंद- मनोरम
पदांत- है
समांत-अफ़ा
जिंदगी
का फलसफा है
कुछ
वफ़ा है कुछ ज़फा है.
जो
नहीं सामर्थ्यशाली,
हारता
वह हर दफा है.
मत
करे इतनी मुहब्बत
जिंदगी
तो बेवफा है.
वक्त
की हर शै बदलती,
हो
अगर नुकसाँ नफा है.
मौत
से तो लाज़मी हो,
जिंदगी
से क्यों खफा है.
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