19 दिसंबर 2018

एक शिकायत है (गीतिका)


छंद- सार
मात्रा भार- 28. (16, 12) अंत 2 गुरु वाचिक.
समस्‍या पूर्ति – घर से
समांत- अर
पदांत- से

एक शिकायत है अवसर है, मेरी परमेश्‍वर से.
 देता है क्‍यों नहीं सभी को, वह हुनर जबर से.

कैसे देंगे ध्‍यान, लिखेंगे, हर साहित्‍य लोग सब,
तभी सीख पायेंगें, हों,गे हर जगह जो मदरसे.  

नींव विरासत की डालोगे सँभलेगी तब यारो,
फले शजर फैलेगी खुशबू, हर आँगन हर दर से.

श्री-शारद की दूरी कम हो, हो जाये कुछ ऐसा,
कम ही देखे हैं होते अब, चमत्‍कार कविवर से.

यदि ऐसा होगा तो रद्दी, नहीं बनेगी कविता,
आकुल बाद तुम्‍हारे जिसको, फैंकेंगे सब घर से.

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