8 मार्च 2022

जैसे जीवन में हर सुविधा

 गीतिका

छंद- विष्णुपद (सम मात्रिक)
विधान- मात्रा भार-26। 16, 10 पर यति, अंत गुरु या गुरु वाचिक से।
पदांत- नहीं
समंत- अर्ज
जैसे जीवन में हर सुविधा, होती अर्ज नहीं ।
वैसे दुनिया में सब होते, हैं खुदगर्ज नहीं ।
दवा और रिश्ते दोनों ही, दर्दनिवारक हैं,
संबंधों में अंतिम तिथि बस, होती दर्ज नहीं ।
मात्र सफलता की तू कोरी, नहीं कल्पना कर,
कर्म सार्थक हो तो कोई होती गर्ज नहीं ।
साथ उम्र के, ऊपर चढ़ना, बहुत जरूरी है,
वर्द्धमान के लिए मुसीबत, होती हर्ज नहीं ।
चलता ही रहता है जीवन, अपनी ही लय पर,
रुकने की भरपाई ‘आकुल’, होती कर्ज नहीं ।

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