गीतिका
छंद- सार्द्ध चौपाई
पदांत- इस मौसम में
समांत- आएँ
चलो चलो सब मौज उड़ाएँ, इस मौसम में।
गर्मी का आनंद उठाएँ, इस मौसम में।1।
हर मौसम के होते सुख-दुख, अपने-अपने,
एक-एक कर खुशी जुटाएँ, इस मौसम में।2।
कुल्फी, फालूदा, ठंडाई, गोला, चुस्की,
तरणताल में तैरें जाएँ, इस मौसम में।3।
खरबूजा, तरबूज, फालसे, लाएँ खिरनी,
मंडी जा कर आम तुलाएँ, इस मौसम में।4।
इस मौसम में आम न खाया तो क्या खाया,
लँगड़ा, केसर, हापुस खाएँ, इस मौसम में।5।
कूलर, एसी, छाया, पंखा, ठंडा पानी,
शरबत से सब प्यास बुझाएँ, इस मौसम में।6।
जाते जाते गरमी को भी, भेंट करें सब,
मिलजुल कर सब पौद उगाएँ, इस मौसम में।7।
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