गीत
आधार छंद- उल्लाला
हिन्दी इक वरदान है।
करना अब सम्मान है।
स्वाभिमान है देश का,
आन बान अरु शान है।
हिन्दी इक वरदान है।।
भारतीय हर देश का,
किसी भेष-परिवेश का,
सम्प्रेषण का सेतु है
होता गर्व स्वदेश का।
उत्तरोत्तर विकास का,
स्वपोषित प्रतिदान है।
स्वाभिमान है देश का,
आन बान अरु शान है।
हिन्दी इक वरदान है।।
बोध न सम्भव बिन पढ़े,
शोध न सम्भव बिन चढ़े,
क्रोध शमन ना मौन बिन,
नींव न प्रस्तर अनगढ़े।
भाषा ही ना मात्र यह,
अनुपम यह विज्ञान है।
स्वाभिमान है देश का,
आन बान अरु शान है।
हिन्दी इक वरदान है।।
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