8 दिसंबर 2023

उठा बोरिया-बिस्तर चले छिपा कर मुख नेताजी

गीत 
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उठा बोरिया-बिस्तर चले छिपा कर मुख नेताजी।

सोच रहे बिन कुर्सी के भोगा कब सुख नेताजी।

उठा बोरिया-बिस्तर.....

सौ सुनार की इक लुहार की, चोट पड़ी तब समझे,

कहा जाय ना सहा जाय हालत बिगड़ी तब समझे,

खिसक लिए चुपचाप हवा का देख के रुख  नेताजी।

उठा बोरिया-बिस्तर.....

जनादेश को देख धड़कनें बढ़ीं कहें अब किससे,

अब बेमानी कौन सुनेगा पाँच साल के किस्से,

लुटे-पिटे कैसे जाएंँ जनता सम्मुख नेताजी।

उठा बोरिया-बिस्तर.....

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