28 दिसंबर 2023

जीवन यह शतरंज की बिछी ऐसी एक बिसात है

 गीतिका

छन्‍द– माधवी मरहट्ठा

विधान- प्रति चरण मात्रा 29. 16, 13 (चौपाई +दोहे का विषम चरण ) पर यति
पदान्त- है, समान्‍त– आत

जीवन यह शतरंज की बिछी, ऐसी एक बिसात है।

पग-पग पर उत्‍थान-पतन की, बातें, शह अरु मात है।

जीवन में शत रंज झेलता, सुख-दुख के इनसान हर,

देखे, लाभ-हानि का होता, नित्‍य यहाँ उत्‍पात है।

पैदल आम आदमी होते, शेष सभी सरदार हों,

आम आदमी लगे दाँव पर, मिलती नहीं निजात है।

बिना दिए बलिदान जीतना, है तिलिस्म को तोड़ना,  

लिखे गए इतिहास सैंकड़ों, मिली नहीं खैरात है।

कूटनीति अरु राजनीति का, है ऐसा मैदान यह,

जीत सिवा मंजूर नहीं कुछ, हार यहाँ अपघात है।   

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