मुक्तक लोक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं व्यवस्थापक डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट आकुल (Gopal Krishna Bhatt 'Aakul') जी को #हिन्दी_गौरव_सम्मान से अलंकृत करते हुए अभिनव हिन्दी काव्यांगन का #मुक्तक_लोक परिवार अत्यंत हर्ष एवं अभिमान का अनुभव करता है ! बड़ी संख्या में सम्मान पत्रों का बनाना अत्यंत श्रम साध्य दुष्कर कार्य था , डॉ. आकुल को शुभकामनाओं संग साभिनंदन अनेकश: आभार ।- प्रो. विश्वम्भर शुक्ल, संस्थापक अध्यक्ष, मुक्तक लोक
गीतिका![]() |
| हिंदी गौरव सम्मान |
छंद- सार
विधान- मात्रा 28. 16, 12 पर यति अंत 22
पदांत- 0
समांत- आएँँ
विधान- मात्रा 28. 16, 12 पर यति अंत 22
पदांत- 0
समांत- आएँँ
‘अ’ से ‘अमन’ हो ‘आ' से 'आजादी’ का पाठ पढ़ाएँ।
आजादी से, अमन चैन से, रह यह देश बढ़ाएँ।
‘इ’ से इत्र के जैसे महके, चहुँ दिश भाई चारा,
‘ई’ से ईश्वर की सत्ता है, सार्वभौम समझाएँ।
‘उ’ से मनायें ‘उत्सव’ नित प्रति, ’ऊ’ से ऊर्जा लेकर,
चहूँ दिशा यश फैले कल, हर संभव सफल बनाएँ।
‘ए’ से बने ‘एकता’ जिससे, दूर करें हर मुश्किल,
’ऐ’ से बन ऐश्वर्यवान् फिर, सुख समृद्धि घर लाएँ।
अं’ से अंत कहे होना है, ‘अंत’ सभी का इक दिन,
’अ:’ दु:ख में न हो सुख ढूँढ़ें, सारे दु:ख भगाएँ।
स्वर मात्रायें वर्ण सभी मिल, शब्द बनाते ‘आकुल’,
शब्द पुष्प से फिर #हिंदी की, वर्णमाल पहनाऍं।।

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