बचें दृष्टि से दृष्टिदोष संकट फैला है चहुँ दिश।
निकट, दूर या सूक्ष्म दृष्टि सिंहावलोकन हो चहुँ दिश।।
दृष्टि लगे या दृष्टि पड़े जब डिढ्या बने विषैली।
तड़ित सदृश झकझोरे तन मन दृष्टि बने पहेली।।
गिद्ध दृष्टि से आहत जन-जन वक्र दृष्टि से जनपथ।
जनप्रतिनिधि सत्ताधीशों के कर्म अनीति से लथपथ।।
रखें दृष्टिगत, जनजाग्रति, जननिनाद,जनक्रांति।
है विकल्प बस दृष्टि रखें ना फैलायें दिग्भ्रांति।।
सर्वप्रथम संक्रामक जन जीवन के हटें प्रदूषण।
हरित क्रांति,हर प्राणी रक्षित करें ना और परीक्षण।।
सर्वहिताय जन सुखाय सर्वतोभद्र दृष्टि हो एक।
बिन दृष्टि बन जायेंगे धृतराष्ट्र अनेकानेक।।
विश्व दृष्टि दिन है संकल्प करें लिख दें इक लेख।
पहुँचे दृष्टि क्षितिज तक खींचें सुख समृद्धि की रेख।।
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