सान्निध्य
दोस्त फ़रिश्ते होते हैं. बाक़ी सब रिश्ते होते हैं.
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2 अक्तूबर 2012
बापू
बापू के आदर्श पर मौन खड़ी सरकार
खाल पहन गीदड़ रहें, हैं रँगदार सियार
हैं रँगदार सियार, पड़ी किसको जनता की
बंद किताबों में सड़ें, नज़ीरें मानवता की
कह ‘आकुल’ कविराय, आज होते गर बापू
आदर्शों पर बात, कभी ना करते बापू
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