वर्षा
हरियाली की हर तरफ, बिछ जाएगी सेज।।
बिछ जाएगी सेज, कीट कृमि नित पनपेंगे।
कहीं कहीं अतिवृष्टि, कई भू भाग तपेंगे।
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वर्षा ऐसी आय, न कोई होय हताहत।
खुशहाली भर जाय, मिले सबको तब राहत।।
नीति
व्यापारी वह ही सफल, रखे संग खेरीज।।
रखे संग खेरीज, न ग्राहक वापिस जाये।
ग्राहक राजा जान, लौट कर कब आ जाये।।
कह 'आकुल' कविराय, कला सीखें गुर्गे से
saarthak. saadhuvad.
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