1 जुलाई 2013

तीन कुण्‍डलिया छन्‍द

वर्षा
राहत वर्षा से हुई, गरमी अब निस्‍तेज।
हरियाली की हर तरफ, बिछ जाएगी सेज।।
बिछ जाएगी सेज, कीट कृमि नित पनपेंगे।
कहीं कहीं अतिवृष्टि, कई भू भाग तपेंगे। ।
वर्षा ऐसी आय, न कोई होय हताहत।
खुशहाली भर जाय, मिले सबको तब राहत।।
नीति
मुर्गे से सीखें सखे, चुनता मल से बीज।
व्‍यापारी वह ही सफल, रखे संग खेरीज।।
रखे संग खेरीज, न ग्राहक वापिस जाये।
ग्राहक राजा जान, लौट कर कब आ जाये।।
कह 'आकुल' कविराय, कला सीखें गुर्गे से
रहे सदैव सचेत, व्‍यस्‍त दीखें मुर्गे से।।
लेखनी
writing pen photo: Writing writing_pen.gifचले अनवरत लेखनी, कुछ भी लिखें सुजान।
अर्थ अनर्थ न होय बस, इतना रक्‍खें ध्‍यान।
इतना रक्‍खें ध्‍यान, बनाये रख अनुशासन।
लिखें खरी बेबाक, लोकहित और सुशासन।  
कह आकुल कविराय, लेखनी ने युग बदले।
वीर, भगत, आजाद, देश की खातिर मचले।।       

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